- 32 Posts
- 74 Comments
साल के सौ-डेढ़ सौ पर्वों में सबसे ज्यादा कंफ्यूज मैं लक्ष्मी पूजा को ही लेकर हूं। दरअसल] प्रत्येक पर्व के लिए खास दिन की कोई वजह होती है। उदाहरण स्वरूप, दुर्गा पूजा हम इसलिये मनाते हैं क्योंकि, उस दौरान दुर्गा मइया राक्षसों का संहार करने धरती पर आती हैं। गणेश चतुर्थी, कृष्णाष्टमी, रामनवमी, विश्वकर्मा पूजा… आदि-आदि पर्व भी इसलिये पूजनीय है क्योंकि, संबंधित देवता इस दिन अवतरित होते हैं। पर, लक्ष्मी मइया तो साल के पूरे दिन सोते-जागते, उठते-बैठते, मरते-जीते… हर समय कुछ भाइयों के सामने विराजमान रहतीं हैं। फिर… साल में केवल एक ही दिन उनकी पूजा के लिए मुकर्रर करने की बात मेरे समझ में कभी नहीं आयी। बहरहाल, युगों-युगों से चली आ रही इस परंपरा पर सिर खपाने की बजाय लक्ष्मी मइया के भक्तों की रेटिंग के बारे में मैं आपको बताना चाहता हूं। इसे तारक बाबू ने सालोंभर लक्ष्मी मइया के प्यारे भक्त गणों की कार्यशैली व उपलब्धियों पर रिसर्च कर तैयार किया है।
लक्ष्मी भक्तों की रेटिंग में पहले पायदान पर खाकी विभाग रहा। बिहार के मंगल राज में खाकी वाले भाइयों ने दोनों हाथों से लक्ष्मी बटोरी। मामला छोटा हो बड़ा, पूरे साल इनका मुंह सुरसा की तरह फटा रहा। …दूसरा स्थान रास्ता विभाग को मिला। मंगल राज में सबसे ज्यादा काम इसी विभाग को मिला। सड़कें चाहे जैसी बनी, लेकिन इस विभाग पर लक्ष्मी जी बरसती रहीं। …तीसरे स्थान पर गाड़ी-मोटर विभाग रहा। ओवरलोडिंग के नाम पर इस विभाग ने लक्ष्मी माता के आशीर्वाद की बहती धारा में खूब गोताखोरी की। …चौथे स्थान पर काबिज मजदूर विभाग मजदूरों को रोजगार देने की बजाय खुद लक्ष्मी माता की भक्ति में लगा रहा। …पांचवां स्थान ज्ञान विभाग को मिला। जहां, गुरुजी लोगों के प्रतिनियोजन व बच्चों के भोजन के नाम पर लक्ष्मी जी की कृपा बरसती रही। …रेटिंग में छठे स्थान जमीन-बेचवा विभाग है। चाहे कोई जमीन खरीदे या बेचे, इनके यहां लक्ष्मी जी का आना लगा रहा। …सातवें स्थान पर विराजमान कूड़ा-कचरा विभाग शहर की साफ-सफाई पर ध्यान देने के बदले ठेकेदारी के बहाने लक्ष्मी माता को रिझाने में लगा रहा। …आठवें पायदान पर प्यास विभाग है। शहर के लोगों की प्यास बुझाने में पूरी तरह विफल इस विभाग का पूरा ध्यान कागज पर घर-घर शौचालय बनवाने में रहा। …नवमें स्थान पर सेहत विभाग रहा। वहीं, तारक बाबू ने लक्ष्मी भक्तों की रेटिंग में दसवां स्थान सेवक भाइयों को दिया है। इसी साल जनता के बीच जाना था, इस वजह से सेवक भाइयों ने लक्ष्मी माता के पीछे ज्यादा भागने से परहेज किया। फिर भी, कुछ लोग आदत से मजबूर रहे।
Read Comments