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अथ श्री मच्छर महिमा कथा

jag_kanchan
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तारक बाबू कई शहरों में आम नागरिक होने का दंश झेल चुके हैं। कहीं बिजली मिली तो पानी नहीं, कहीं सड़क मिली तो सवारी नहीं। बक्सर आने के बाद भी उन्हें कुछ मिला और कुछ नहीं मिला। पर, एक बात का उन्हें संतोष हुआ कि हर जगह की तरह मच्छर यहां भी उन्हें भारी तादाद में मिले। इसीलिए हर शहर की तरह यहां भी मच्छरों की जनसंख्या को काबू में करने के लिए एक अदद विभाग बना है।
असल में क्षेत्रवाद, जातिवाद व नस्लवाद से परे मच्छरों के समाजवादी गुण से तारक बाबू बेहद प्रभावित हैं। कहावत है, जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि लेकिन, जहां न पहुंचे कवि वहां भी मच्छर पहुंच जाते हैं। इन्हीं गुणों के कारण उन्होंने मच्छरों पर शोध किया। इसके जो नतीजे सामने आये उससे मच्छरों पर ‘समाजशास्त्रीÓ नाना पाटेकर का सिद्धांत ‘एक मच्छर आदमी को …. बना देता है’ की बखिया उधड़ गयी। तारक बाबू ने पाया कि मच्छरों से च्यादा सामाजिक प्राणी दूसरा कोई नहीं है। उनका कहना है कि अभी तक समाज में मच्छरों की उपस्थिति को सकारात्मक नजरिये से नहीं देखा गया। ‘तारक थ्योरीÓ के मुताबिक मच्छर की वजह से ही दुनिया में सबसे च्यादा रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। इनकी कृपा से फैलने वाली बीमारी से निपटने के लिए बड़े-बड़े अस्पताल खुल रहे हैं। दवा कंपनियां मालामाल हो रही हैं। हेल्थ बीमा करने वाली कंपनियां मच्छरों के काटने से होने वाली डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियों का हवाला देकर अपना विस्तार कर रही हैं। इसके अलावा मच्छर के कारण ही नगर निगम, फाइलेरिया, मलेरिया व कालाजार आदि विभाग खुले हैं। जिनके देशभर के कार्यालयों में काम करने वाले लाखों बाबू महीने के शुरू में वेतन उठाते हैं और बाकी दिन वेतन बढ़वाने के लिए हड़ताल पर रहते हैं। शोध में मच्छर के बायलाजिकल गुणों का भी पता चला। मच्छर अमीर-गरीब, हिंदू-मुसलमान, स्त्री-पुरुष अथवा कोच-खिलाड़ी किसी का भी खून पी कर पचा जाते हैं। शिकार का खून चूसने से पहले वे उसका ग्रुप नहीं देखते। इन्हीं गुणों के कारण अमेरिका में मच्छरों के ‘जीनÓ को मनुष्य में ट्रांसप्लांट करने का प्रयास चल रहा है। यदि यह प्रयास सफल रहा तो आने वाले दिनों में ब्लड-ग्रुप का लफड़ा ही खत्म हो जायेगा। जरूरत पडऩे पर किसी के शरीर में किसी भी ग्रुप का खून चढ़ाया जा सकेगा। बकौल तारक बाबू- अब इतने गुणकारी मच्छरों को अभी भी सामाजिक प्राणी का दर्जा नहीं मिला तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। सरकार को मच्छरों को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनिक शस्त्रों(क्वाइल, लिक्विड व क्रीम इत्यादि) पर तत्काल रोक लगानी चाहिये और उसे संरक्षित प्राणी घोषित करना चाहिये।
– कंचन

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